सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा
हम बुलबुलें हैं इस की ये गुलसिताँ हमारा
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ज़मीर-ए-लाला मय-ए-लाल से हुआ लबरेज़
अगर कज-रौ हैं अंजुम आसमाँ तेरा है या मेरा
ज़लाम-ए-बहर में खो कर सँभल जा
हादसा वो जो अभी पर्दा-ए-अफ़्लाक में है
ख़ुदा तुझे किसी तूफ़ाँ से आश्ना कर दे
अच्छा है दिल के साथ रहे पासबान-ए-अक़्ल
तुलू-ए-इस्लाम
ला फिर इक बार वही बादा ओ जाम ऐ साक़ी
निगाह-ए-इश्क़ दिल-ए-ज़िंदा की तलाश में है
न पूछो मुझ से लज़्ज़त ख़ानमाँ-बर्बाद रहने की
अजब नहीं कि ख़ुदा तक तिरी रसाई हो