Sad Poetry of Ameer Minai (page 2)
नाम | अमीर मीनाई |
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अंग्रेज़ी नाम | Ameer Minai |
जन्म की तारीख | 1829 |
मौत की तिथि | 1900 |
न बेवफ़ाई का डर था न ग़म जुदाई का
मुझ मस्त को मय की बू बहुत है
मिरे बस में या तो या-रब वो सितम-शिआर होता
मैं रो के आह करूँगा जहाँ रहे न रहे
क्या रोके क़ज़ा के वार तावीज़
कुछ ख़ार ही नहीं मिरे दामन के यार हैं
कहा जो मैं ने कि यूसुफ़ को ये हिजाब न था
जब से बाँधा है तसव्वुर उस रुख़-ए-पुर-नूर का
हम जो मस्त-ए-शराब होते हैं
हुआ जो पैवंद मैं ज़मीं का तो दिल हुआ शाद मुझ हज़ीं का
हटाओ आइना उम्मीद-वार हम भी हैं
हँस के फ़रमाते हैं वो देख के हालत मेरी
हम-सर-ए-ज़ुल्फ़ क़द-ए-हूर-ए-शमाइल ठहरा
हैं न ज़िंदों में न मुर्दों में कमर के आशिक़
है ख़मोशी ज़ुल्म-ए-चर्ख़-ए-देव-पैकर का जवाब
गुज़र को है बहुत औक़ात थोड़ी
गले में हाथ थे शब उस परी से राहें थीं
दिल को तर्ज़-ए-निगह-ए-यार जताते आए
दिल जो सीने में ज़ार सा है कुछ
चुप भी हो बक रहा है क्या वाइज़
अमीर लाख इधर से उधर ज़माना हुआ
ऐ ज़ब्त देख इश्क़ की उन को ख़बर न हो
अच्छे ईसा हो मरीज़ों का ख़याल अच्छा है