Friendship Poetry of Ameer Minai
नाम | अमीर मीनाई |
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अंग्रेज़ी नाम | Ameer Minai |
जन्म की तारीख | 1829 |
मौत की तिथि | 1900 |
यार पहलू में है तन्हाई है कह दो निकले
तरफ़-ए-काबा न जा हज के लिए नादाँ है
कौन सी जा है जहाँ जल्वा-ए-माशूक़ नहीं
हटाओ आइना उम्मीद-वार हम भी हैं
है वसिय्यत कि कफ़न मुझ को इसी का देना
फ़िराक़-ए-यार ने बेचैन मुझ को रात भर रक्खा
बातें नासेह की सुनीं यार के नज़्ज़ारे किए
वादा-ए-वस्ल और वो कुछ बात है
तीर पर तीर लगाओ तुम्हें डर किस का है
शमशीर है सिनाँ है किसे दूँ किसे न दूँ
साफ़ कहते हो मगर कुछ नहीं खुलता कहना
पूछा न जाएगा जो वतन से निकल गया
पिला साक़िया अर्ग़वानी शराब
न बेवफ़ाई का डर था न ग़म जुदाई का
मिरे बस में या तो या-रब वो सितम-शिआर होता
मैं रो के आह करूँगा जहाँ रहे न रहे
क्या रोके क़ज़ा के वार तावीज़
कुछ ख़ार ही नहीं मिरे दामन के यार हैं
कहा जो मैं ने कि यूसुफ़ को ये हिजाब न था
जब से बाँधा है तसव्वुर उस रुख़-ए-पुर-नूर का
हटाओ आइना उम्मीद-वार हम भी हैं
हँस के फ़रमाते हैं वो देख के हालत मेरी
हैं न ज़िंदों में न मुर्दों में कमर के आशिक़
फ़िराक़-ए-यार ने बेचैन मुझ को रात भर रक्खा
दिल को तर्ज़-ए-निगह-ए-यार जताते आए
चाँद सा चेहरा नूर की चितवन माशा-अल्लाह माशा-अल्लाह