Sharab Poetry of Ameer Minai
नाम | अमीर मीनाई |
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अंग्रेज़ी नाम | Ameer Minai |
जन्म की तारीख | 1829 |
मौत की तिथि | 1900 |
कविताएं
Ghazal 42
Couplets 116
Love 47
Sad 53
Heart Broken 36
Bewafa 6
Hope 33
Friendship 26
Islamic 21
Sufi 2
देशभक्तिपूर्ण 8
बारिश 4
ख्वाब 12
Sharab 18
तेरी मस्जिद में वाइज़ ख़ास हैं औक़ात रहमत के
न वाइज़ हज्व कर एक दिन दुनिया से जाना है
मस्जिद में बुलाते हैं हमें ज़ाहिद-ए-ना-फ़हम
वादा-ए-वस्ल और वो कुछ बात है
तिरा क्या काम अब दिल में ग़म-ए-जानाना आता है
पिला साक़िया अर्ग़वानी शराब
मुझ मस्त को मय की बू बहुत है
मिरे बस में या तो या-रब वो सितम-शिआर होता
कहा जो मैं ने कि यूसुफ़ को ये हिजाब न था
जब से बाँधा है तसव्वुर उस रुख़-ए-पुर-नूर का
हम जो मस्त-ए-शराब होते हैं
हुआ जो पैवंद मैं ज़मीं का तो दिल हुआ शाद मुझ हज़ीं का
हटाओ आइना उम्मीद-वार हम भी हैं
गुज़र को है बहुत औक़ात थोड़ी
गले में हाथ थे शब उस परी से राहें थीं
फ़िराक़-ए-यार ने बेचैन मुझ को रात भर रक्खा
चुप भी हो बक रहा है क्या वाइज़
बात करने में तो जाती है मुलाक़ात की रात