Hope Poetry of Amir Nazar

Hope Poetry of Amir Nazar
नामआमिर नज़र
अंग्रेज़ी नामAmir Nazar
जन्म की तारीख1990
जन्म स्थानpatna, bihar

यूँ तो बिखरे थे मगर कुछ तो कहीं पर कुछ था

सहर की जुम्बिश क़द-ए-मतानत पे रह गई थी

कुछ सुलगते हुए ख़्वाबों की फ़रावानी है

ख़ेमा-ए-जाँ को जो देखूँ तो शरर-बार लगे

जो भी कुछ ताक़-ए-ख़यालात पे रह जाते हैं

जबीं को चैन कहाँ ज़ेर-ए-लब दुआ है बस

हम कि सरमाया-ए-ईक़ान लिए बैठे हैं

हमारे चेहरों में पिन्हाँ हैं ज़ाविए क्या क्या

फ़िशार-ए-तीरह-शबी से सहर निकल आए

एक इक तार-ए-नफ़स आशुफ़्ता-ए-आहंग था

दरून-ए-जिस्म की दीवार से उभरती है

अब तो लफ़्ज़ों के तक़ाज़ों का भरोसा न रहा

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