मुझे फूँकने से पहले मिरा दिल निकाल लेना
ये किसी की है अमानत मिरे साथ जल न जाए
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अकेला पा के मुझ को याद उन की आ तो जाती है
ऐ काश हमारी क़िस्मत में ऐसी भी कोई शाम आ जाए
अभी रात कुछ है बाक़ी न उठा नक़ाब साक़ी
किसी सूरत भी नींद आती नहीं मैं कैसे सो जाऊँ
मैं नज़र से पी रहा हूँ ये समाँ बदल न जाए
मैं ख़ुश हूँ अगर गुलशन के लिए कुछ मेरा लहू काम आ जाए
मिरे अश्क भी हैं इस में ये शराब उबल न जाए
रुख़ से पर्दा उठा दे ज़रा साक़िया बस अभी रंग-ए-महफ़िल बदल जाएगा
इस वास्ते दामन चाक किया शायद ये जुनूँ काम आ जाए
यहाँ काँप जाते हैं फ़लसफ़े ये बड़ा अजीब मक़ाम है
मैं तो समझा था जिस वक़्त मुझ को वो मिलेंगे तो जन्नत मिलेगी