तिरे होते जो जचती ही नहीं थी
वो सूरत आज ख़ासी लग रही है
Anwar Masood
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Gulzar
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(928) Peoples Rate This
बहुत इरादा किया कोई काम करने का
इत्तिफ़ाक़ अपनी जगह ख़ुश-क़िस्मती अपनी जगह
मुस्कुराए बग़ैर भी वो होंट
सच है उम्र भर किस का कौन साथ देता है
'शुऊर' वक़्त पे दिल की दवा हुई होती
ये मत पूछो कि कैसा आदमी हूँ
क्या बे-मुरव्वती का शिकवा गिला किसी से
ज़हर की चुटकी ही मिल जाए बराए दर्द-ए-दिल
मैं ख़ाक हूँ आब हूँ हवा हूँ
सामाँ तो बेहद है दिल में
इस तअल्लुक़ में नहीं मुमकिन तलाक़
मिरी हयात है बस रात के अँधेरे तक