तेरी आस पे जीता था मैं वो भी ख़त्म हुई
अब दुनिया में कौन है मेरा कोई नहीं मेरा
Parveen Shakir
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Rahat Indori
Gulzar
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(969) Peoples Rate This
नहीं मिलते 'शुऊर' आँसू बहाते
'शुऊर' तुम ने ख़ुदा जाने क्या किया होगा
कभी रोता था उस को याद कर के
कड़ा है दिन बड़ी है रात जब से तुम नहीं आए
किसी ग़रीब को ज़ख़्मी करें कि क़त्ल करें
हवस बला की मोहब्बत हमें बला की है
क्या बे-मुरव्वती का शिकवा गिला किसी से
ऐसे देखा है कि देखा ही न हो
अकेले क्या पस-ए-दीवार-ओ-दर गए हम तुम
'शुऊर' सिर्फ़ इरादे से कुछ नहीं होता
जनाब के रुख़-ए-रौशन की दीद हो जाती
नहीं ख़स्ता-हाली पे ना-मुतमइन हम