ज़मीन पाँव के नीचे से सरकी जाती है
हमें न छेड़िए हम हैं फ़लक सताए हुए
Anwar Masood
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Gulzar
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Habib Jalib
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मंज़िल है अपनी अपनी 'क़लक़' अपनी अपनी गोर
न कल तक थे वो मुँह लगाने के क़ाबिल
मिलता है क़ैद-ए-ग़म में भी लुत्फ़-ए-फ़ज़ा-ए-बाग़
जमे क्या पाँव मेरे ख़ाना-ए-दिल में क़नाअ'त का
चश्मक-ज़नी में करती नहीं यार का लिहाज़
आएँगे वो तो आप में हरगिज़ न आएँगे
हम ने एहसान असीरी का न बर्बाद किया
कोताह उम्र हो गई और ये न कम हुई
वाइज़ की ज़िद से रिंदों ने रस्म-ए-जदीद की
यगाना उन का बेगाना है बेगाना यगाना है
न वो ख़ुशबू है गुलों में न ख़लिश ख़ारों में
ख़त में लिक्खी है हक़ीक़त दश्त-गर्दी की अगर