किस ने भीगे हुए बालों से ये झटका पानी
झूम के आई घटा टूट के बरसा पानी
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किस मस्त अदा से आँख लड़ी मतवाला बना लहरा के गिरा
वो क्या लिखता जिसे इंकार करते भी हिजाब आया
फैल गई बालों में सपेदी चौंक ज़रा करवट तो बदल
जितने हुस्न-आबाद में पहोंचे होश-ओ-ख़िरद खो कर पहोंचे
तू कहता है ख़ालिक़-ए-शर-ओ-ख़ैर नहीं
जितना था सरगर्म-ए-कार उतना ही दिल नाकाम था
हाथ से किस ने साग़र पटका मौसम की बे-कैफ़ी पर
जोश-ए-जुनूँ में वो तिरे वहशी का चीख़ना
ख़ाली न अंदलीब का सोज़-ए-नफ़स गया
जवाब देने के बदले वो शक्ल देखते हैं
बरसों भटका किया और फिर भी न उन तक पहुँचा
जज़्ब-ए-निगाह-ए-शोबदा-गर देखते रहे