असग़र मेहदी होश कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का असग़र मेहदी होश (page 2)
नाम | असग़र मेहदी होश |
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अंग्रेज़ी नाम | Asghar Mehdi Hosh |
कविताएं
Ghazal 18
Nazam 7
Couplets 18
Love 18
Sad 15
Heart Broken 25
Bewafa 3
Hope 6
Friendship 3
Islamic 1
Social 4
बारिश 2
ख्वाब 7
Sharab 1
काम कुछ तो लेना था अपने दीदा-ए-तर से
जो सज़ा चाहो मोहब्बत से दो यारो मुझ को
जो इस ज़मीर फ़रोशी के माहेरीन में है
जला जला के दिए पास पास रखते हैं
इतना एहसास तो दे पालने वाले मुझ को
इस से पहले कि हवा मुझ को उड़ा ले जाए
हमेशा तंग रहा मुझ पे ज़िंदगी का लिबास
चेहरों को बे-नक़ाब समझने लगा था मैं
बे-निशान क़दमों की कहकशाँ पकड़ते हैं
बस्ती मिली मकान मिले बाम-ओ-दर मिले
बाहर का माहौल तो हम को अक्सर अच्छा लगता है
बचपन तमाम बूढ़े सवालों में कट गया
आए थे घर में आग लगाने शरीर लोग