दिलों के दर्द जगा ख़्वाहिशों के ख़्वाब सजा
बला-कशान-ए-नज़र के लिए सराब सजा
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Gulzar
Allama Iqbal
Wasi Shah
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Rahat Indori
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ज़िंदगी आईना है आईना-आराई है
वो क्या तलब थी तिरे जिस्म के उजाले की
दर्द की धूप में सहरा की तरह साथ रहे
बड़ा कठिन है रास्ता जो आ सको तो साथ दो
पारसाओं ने बड़े ज़र्फ़ का इज़हार किया
चोब-ए-सहरा भी वहाँ रश्क-ए-समर कहलाए
यक लम्हा सही उम्र का अरमान ही रह जाए
गहरी है शब की आँच कि ज़ंजीर-ए-दर कटे
मैं ज़ख़्म ज़ख़्म रहूँ रूह के ख़राबों से