Ghazals of Azhar Inayati

Ghazals of Azhar Inayati
नामअज़हर इनायती
अंग्रेज़ी नामAzhar Inayati
जन्म की तारीख1946

ये क्या कि रंग हाथों से अपने छुड़ाएँ हम

वो ताज़ा-दम हैं नए शो'बदे दिखाते हुए

वो तड़प जाए इशारा कोई ऐसा देना

वो मुझ से मेरा तआ'रुफ़ कराने आया था

वो मेरा यार था मुझ को न ये ख़याल आया

उस को आदाब बिछड़ने के सिखाता हुआ मैं

उजाला दश्त-ए-जुनूँ में बढ़ाना पड़ता है

उदास उदास तबीअ'त जो थी बहलने लगी

तिरे तक़ाज़ों पे चेहरे बदल रहा हूँ मैं

तमाम शख़्सियत उस की हसीं नज़र आई

शुरू-ए-इश्क़ में लोगों ने इतनी शिद्दत की

रंगतें मासूम चेहरों की बुझा दी जाएँगी

क़यामत आएगी माना ये हादिसा होगा

नज़र की ज़द में सर कोई नहीं है

मयस्सर हो जो लम्हा देखने को

मैं समुंदर था मुझे चैन से रहने न दिया

क्या क्या नवाह-ए-चश्म की रानाइयाँ गईं

कुछ आरज़ी उजाले बचाए हुए हैं लोग

किताबें जब कोई पढ़ता नहीं था

ख़त उस के अपने हाथ का आता नहीं कोई

कभी क़रीब कभी दूर हो के रोते हैं

जब तक सफ़ेद आँधी के झोंके चले न थे

जाने आया था क्यूँ मकान से मैं

इस रास्ते में जब कोई साया न पाएगा

इस हादसे को देख के आँखों में दर्द है

इस बुलंदी पे कहाँ थे पहले

इस बार उन से मिल के जुदा हम जो हो गए

हम ने जो क़सीदों को मुनासिब नहीं समझा

हर एक रात को महताब देखने के लिए

हक़ीक़तों का नई रुत की है इरादा क्या

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