Heart Broken Poetry of Azhar Inayati
नाम | अज़हर इनायती |
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अंग्रेज़ी नाम | Azhar Inayati |
जन्म की तारीख | 1946 |
वो तड़प जाए इशारा कोई ऐसा देना
उन के भी अपने ख़्वाब थे अपनी ज़रूरतें
मुझ को भी जागने की अज़िय्यत से दे नजात
इस रास्ते में जब कोई साया न पाएगा
ग़ज़ल का शेर तो होता है बस किसी के लिए
चौराहों का तो हुस्न बढ़ा शहर के मगर
अजब जुनून है ये इंतिक़ाम का जज़्बा
अब मिरे ब'अद कोई सर भी नहीं होगा तुलू'अ
ये क्या कि रंग हाथों से अपने छुड़ाएँ हम
वो तड़प जाए इशारा कोई ऐसा देना
वो मुझ से मेरा तआ'रुफ़ कराने आया था
वो मेरा यार था मुझ को न ये ख़याल आया
उजाला दश्त-ए-जुनूँ में बढ़ाना पड़ता है
उदास उदास तबीअ'त जो थी बहलने लगी
शुरू-ए-इश्क़ में लोगों ने इतनी शिद्दत की
रंगतें मासूम चेहरों की बुझा दी जाएँगी
क़यामत आएगी माना ये हादिसा होगा
नज़र की ज़द में सर कोई नहीं है
मयस्सर हो जो लम्हा देखने को
कुछ आरज़ी उजाले बचाए हुए हैं लोग
ख़त उस के अपने हाथ का आता नहीं कोई
जब तक सफ़ेद आँधी के झोंके चले न थे
जाने आया था क्यूँ मकान से मैं
इस रास्ते में जब कोई साया न पाएगा
इस हादसे को देख के आँखों में दर्द है
इस बार उन से मिल के जुदा हम जो हो गए
हर एक रात को महताब देखने के लिए
घर का रस्ता जो भूल जाता हूँ
फ़िक्र में हैं हमें बुझाने की
फ़न उड़ानों का जब ईजाद किया था मैं ने