हमें दी जाएगी फाँसी हमारे अपने जिस्मों में
उजाड़ी हैं तमन्नाओं की लाखों बस्तियाँ हम ने
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Anwar Masood
Habib Jalib
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मैं अपने आप से टकरा गई थी ख़ैर हुई
आप भी रेत का मल्बूस पहन कर देखें
न जाने कब से बराबर मिरी तलाश में है
धूप मेरी सारी रंगीनी उड़ा ले जाएगी
मेरी तस्वीर बनाने को जो हाथ उठता है
फ़साना-दर-फ़साना फिर रही है ज़िंदगी जब से
मैं किस ज़बान में उस को कहाँ तलाश करूँ
पड़ा है ज़िंदगी के इस सफ़र से साबिक़ा अपना
मैं किसी जन्म की यादों पे पड़ा पर्दा हूँ
लहू से उठ के घटाओं के दिल बरसते हैं
ये हौसला भी किसी रोज़ कर के देखूँगी