Ghazals of Badr Wasti

Ghazals of Badr Wasti
नामबद्र वास्ती
अंग्रेज़ी नामBadr Wasti

ज़ेहन और दिल में जो रहती है चुभन खुल जाए

वो जब देगा जो कुछ देगा देगा अपने वालों को

तुम्हारे दिल में जो ग़म बसा है तो मैं कहाँ हूँ

फल दरख़्तों से गिरे थे आँधियों में थाल भर

किस को फ़ुर्सत कौन पढ़ेगा चेहरे जैसा सच्चा सच

इक़रार किसी दिन है तो इंकार किसी दिन

फ़िक्र-ए-अहल-ए-हुनर पे बैठी है

धानी सुरमई सब्ज़ गुलाबी जैसे माँ का आँचल शाम

चराग़ों में अँधेरा है अँधेरे में उजाले हैं

बुरा हो कर भी वो अच्छा बहुत है

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