Love Poetry of Bahram Ji

Love Poetry of Bahram Ji
नामबहराम जी
अंग्रेज़ी नामBahram Ji

रिश्ता-ए-उल्फ़त रग-ए-जाँ में बुतों का पड़ गया

इश्क़ में दिल से हम हुए महव तुम्हारे ऐ बुतो

यार को हम ने बरमला देखा

कुफ़्र एक रंग-ए-क़ुदरत-ए-बे-इंतिहा में है

कब तसव्वुर यार-ए-गुल-रुख़्सार का फ़े'अल-ए-अबस

जो है याँ अासाइश-ए-रंज-ओ-मेहन में मस्त है

हम न बुत-ख़ाने में ने मस्जिद-ए-वीराँ में रहे

ग़मगीं नहीं हूँ दहर में तो शाद भी नहीं

दूर हो दर्द-ए-दिल ये और दर्द-ए-जिगर किसी तरह

दुनिया में इबादत को तिरी आए हुए हैं

बहस क्यूँ है काफ़िर-ओ-दीं-दार की

बहराम जी Love Poetry in Hindi - Read famous Love Shayari, Romantic Ghazals & Sad Poetry written by बहराम जी. Largest collection of Love Poems, Sad Ghazals including Two Line Sher and SMS by बहराम जी. Share the बहराम जी Love Potery, Romantic Hindi Ghazals and Sufi Shayari with your friends on whats app, facebook and twitter.