Sad Poetry of Bahram Ji

Sad Poetry of Bahram Ji
नामबहराम जी
अंग्रेज़ी नामBahram Ji

ज़ाहिदा काबे को जाता है तो कर याद-ए-ख़ुदा

यार को हम ने बरमला देखा

रखा सर पर जो आया यार का ख़त

कुफ़्र एक रंग-ए-क़ुदरत-ए-बे-इंतिहा में है

किया है संदलीं-रंगों ने दर बंद

जो है याँ अासाइश-ए-रंज-ओ-मेहन में मस्त है

हम न बुत-ख़ाने में ने मस्जिद-ए-वीराँ में रहे

हो चुका वाज़ का असर वाइज़

ग़मगीं नहीं हूँ दहर में तो शाद भी नहीं

दूर हो दर्द-ए-दिल ये और दर्द-ए-जिगर किसी तरह

दुनिया में इबादत को तिरी आए हुए हैं

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