खुला मकान है हर एक ज़िंदगी 'आज़र'
हवा के साथ दरीचों से ख़्वाब आते हैं
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Gulzar
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(677) Peoples Rate This
ख़त्म होता ही नहीं मेरा सफ़र
मार देती है ज़िंदगी ठोकर
तू भले मेरा ए'तिबार न कर
क्यूँ छुपाते हो किधर जाना है
जब कोई टीस दिल दुखाती है
रात दिन इक बेबसी ज़िंदा रही
मिरे सफ़र में ही क्यूँ ये अज़ाब आते हैं
चलूँगा कब तलक तन्हा सफ़र में
हार जाएगी यक़ीनन तीरगी
हादसा होता रहा है मुझ में
पाँव मेरा फिर पड़ा है दश्त में
कोई मंज़िल कभी नहीं आई