मरहूम तमन्नाओं को क्या याद करें
किस किस से कहें कैसे ये फ़रियाद करें
ख़ुद हम ने तबाही की क़सम खाई थी
किस तरह से फिर शिकवा-ए-बेदाद करें
Jaun Eliya
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आईना क्या किस को दिखाता गली गली हैरत बिकती थी
दश्त-ए-वफ़ा में ठोकरें खाने का शौक़ था
बदल के रख देंगे ये तसव्वुर कि आदमी का वक़ार क्या है
सरमाए की अज़्मत का निशाँ देख लिया
आज़मा लो कि दिल को चैन आए
चले तो जाते हो रूठे हुए मगर सुन लो
अजीब दिल में मिरे आज इज़्तिराब सा है!
बेदारी का इक दौर नया आता है
ये सोच कर तिरी महफ़िल से हम चले आए
हज़ार चाहा लगाएँ किसी से दिल लेकिन
सादा काग़ज़ पे कोई नाम कभी लिख लेना!
ये रात