जब भी मिले हम उन से उन्हों ने यही कहा
बस आज आने वाले थे हम आप की तरफ़
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कितना काम करेंगे
अब दिल को समझाए कौन
तू जब सामने होता है
हज़ार कहता रहा मैं कि यार एक मिनट
था जो कभी इक शौक़-ए-फ़ुज़ूल
गिला भी तुझ से बहुत है मगर मोहब्बत भी
बादल है और फूल खिले हैं सभी तरफ़
तुझ को देख रहा हूँ मैं
कैसे याद रही तुझ को
अपनी बातों के ज़माने तो हवा-बुर्द हुए
दिल में हर-चंद आरज़ू थी बहुत
'बासिर' तुम्हें यहाँ का अभी तजरबा नहीं