बेख़ुद देहलवी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का बेख़ुद देहलवी (page 4)
नाम | बेख़ुद देहलवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Bekhud Dehlvi |
जन्म की तारीख | 1863 |
मौत की तिथि | 1955 |
जन्म स्थान | Delhi |
मेरे हम-राह मिरे घर पे भी आफ़त आई
माशूक़ हमें बात का पूरा नहीं मिलता
लुत्फ़ से मतलब न कुछ मेरे सताने से ग़रज़
लड़ाएँ आँख वो तिरछी नज़र का वार रहने दें
क्यूँ कह के दिल का हाल उसे बद-गुमाँ करूँ
क्या मिले आप की महफ़िल में भला एक से एक
ख़ुदा रक्खे तुझे मेरी बुराई देखने वाले
कब तक करेंगे जब्र दिल-ए-ना-सुबूर पर
जो तुझे इम्तिहान देता है
जो तमाशा नज़र आया उसे देखा समझा
झूट सच आप तो इल्ज़ाम दिए जाते हैं
जताए जाते हैं एहसान भी सता के मुझे
हुआ जो वक़्फ़-ए-ग़म वो दिल किसी का हो नहीं सकता
हो के मजबूर आह करता हूँ
हिजाब दूर तुम्हारा शबाब कर देगा
हज़रत-ए-दिल ये इश्क़ है दर्द से कसमसाए क्यूँ
हर एक बात तिरी बे-सबात कितनी है
हैं निकहत-ए-गुल बाग़ में ऐ बाद-ए-सबा हम
दोनों ही की जानिब से हो गर अहद-ए-वफ़ा हो
दिल में फिर वस्ल के अरमान चले आते हैं
दिल है मुश्ताक़ जुदा आँख तलबगार जुदा
दिल चुरा ले गई दुज़्दीदा-नज़र देख लिया
दे मोहब्बत तो मोहब्बत में असर पैदा कर
बेवफ़ा कहने से क्या वो बेवफ़ा हो जाएगा
बेताब रहें हिज्र में कुछ दिल तो नहीं हम
बेचने आए कोई क्या दिल-ए-शैदा ले कर
बज़्म-ए-दुश्मन में बुलाते हो ये क्या करते हो
बनी थी दिल पे कुछ ऐसी की इज़्तिराब न था
बात करने की शब-ए-वस्ल इजाज़त दे दो
और साक़ी पिला अभी क्या है