बेख़ुद देहलवी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का बेख़ुद देहलवी (page 3)
नाम | बेख़ुद देहलवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Bekhud Dehlvi |
जन्म की तारीख | 1863 |
मौत की तिथि | 1955 |
जन्म स्थान | Delhi |
बात वो कहिए कि जिस बात के सौ पहलू हों
बात करने की शब-ए-वस्ल इजाज़त दे दो
अपने जल्वे का वो ख़ुद आप तमाशाई है
ऐ शैख़ आदमी के भी दर्जे हैं मुख़्तलिफ़
अदाएँ देखने बैठे हो क्या आईने में अपनी
अब आप कोई काम सिखा दीजिए हम को
आप को रंज हुआ आप के दुश्मन रोए
आप शर्मा के न फ़रमाएँ हमें याद नहीं
आप हों हम हों मय-ए-नाब हो तन्हाई हो
आइना देख के ख़ुर्शीद पे करते हैं नज़र
आइना देख कर वो ये समझे
वो सुन कर हूर की तारीफ़ पर्दे से निकल आए
वो देखते जाते हैं कनखियों से इधर भी
वो और तसल्ली मुझे दें उन की बला दे
उठे तिरी महफ़िल से तो किस काम के उठ्ठे
टूटे पड़ते हैं ये हैं किस के ख़रीदार तमाम
तुम्हें हम चाहते तो हैं मगर क्या
तुम हमारे दिल-ए-शैदा को नहीं जानते क्या
तेशे से कोई काम न फ़रहाद से हुआ
शौक़ अपना आप मैं अपनी ज़बाँ से क्यूँ कहूँ
शम-ए-मज़ार थी न कोई सोगवार था
सब्र आता है जुदाई में न ख़्वाब आता है
रात भर गर्दिश थी उन के पासबानों की तरह
क़यामत है जो ऐसे पर दिल-ए-उम्मीद-वार आए
पछताओगे फिर हम से शरारत नहीं अच्छी
न सही आप हमारे जो मुक़द्दर में नहीं
न क्यूँ-कर नज़्र दिल होता न क्यूँ-कर दम मिरा जाता
न अरमाँ बन के आते हैं न हसरत बन के आते हैं
मुँह फेर कर वो कहते हैं बस मान जाइए
मुझ को न दिल पसंद न वो बेवफ़ा पसंद