Sharab Poetry of Bekhud Dehlvi

Sharab Poetry of Bekhud Dehlvi
नामबेख़ुद देहलवी
अंग्रेज़ी नामBekhud Dehlvi
जन्म की तारीख1863
मौत की तिथि1955
जन्म स्थानDelhi

रिंद-मशरब कोई 'बेख़ुद' सा न होगा वल्लाह

मुँह में वाइज़ के भी भर आता है पानी अक्सर

वो देखते जाते हैं कनखियों से इधर भी

वो और तसल्ली मुझे दें उन की बला दे

उठे तिरी महफ़िल से तो किस काम के उठ्ठे

सब्र आता है जुदाई में न ख़्वाब आता है

न क्यूँ-कर नज़्र दिल होता न क्यूँ-कर दम मिरा जाता

लड़ाएँ आँख वो तिरछी नज़र का वार रहने दें

झूट सच आप तो इल्ज़ाम दिए जाते हैं

जताए जाते हैं एहसान भी सता के मुझे

हैं निकहत-ए-गुल बाग़ में ऐ बाद-ए-सबा हम

दोनों ही की जानिब से हो गर अहद-ए-वफ़ा हो

दिल है मुश्ताक़ जुदा आँख तलबगार जुदा

दिल चुरा ले गई दुज़्दीदा-नज़र देख लिया

बात करने की शब-ए-वस्ल इजाज़त दे दो

और साक़ी पिला अभी क्या है

अदू के ताकने को तुम इधर देखो उधर देखो

अब इस से क्या तुम्हें था या उमीद-वार न था

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