Hope Poetry of Darshan Singh

Hope Poetry of Darshan Singh
नामदर्शन सिंह
अंग्रेज़ी नामDarshan Singh

तमाम नूर-ए-तजल्ली तमाम रंग-ए-चमन

राज़-ए-निहाँ थी ज़िंदगी राज़-ए-निहाँ है आज भी

क़ैद-ए-ग़म-ए-हयात से अहल-ए-जहाँ मफ़र नहीं

मोहब्बत की मता-ए-जावेदानी ले के आया हूँ

किसी की शाम-ए-सादगी सहर का रंग पा गई

कहीं जमाल-ए-अज़ल हम को रूनुमा न मिला

कब ख़मोशी को मोहब्बत की ज़बाँ समझा था मैं

जज़्बा-ए-दिल को अमल में कभी लाओ तो सही

जब आदमी मुद्दआ-ए-हक़ है तो क्या कहें मुद्दआ' कहाँ है

इस राह में आते हैं बयाबाँ भी चमन भी

हँसी गुलों में सितारों में रौशनी न मिली

गुलों पे ख़ाक-ए-मेहन के सिवा कुछ और नहीं

ग़म-ए-हयात पे ख़ंदाँ हैं तेरे दीवाने

बहुत मुश्किल है तर्क-ए-आरज़ू रब्त-आश्ना हो कर

आज दिल से दुआ करे कोई

दर्शन सिंह Hope Poetry in Hindi - Read famous Hope Shayari, Romantic Ghazals & Sad Poetry written by दर्शन सिंह. Largest collection of Hope Poems, Sad Ghazals including Two Line Sher and SMS by दर्शन सिंह. Share the दर्शन सिंह Hope Potery, Romantic Hindi Ghazals and Sufi Shayari with your friends on whats app, facebook and twitter.