मैं सो गया तो कोई नींद से उठा मुझ में
फिर अपने हाथ में सब इंतिज़ाम उस ने लिया
Gulzar
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Rahat Indori
Wasi Shah
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1002) Peoples Rate This
ख़ौफ़ ग़र्क़ाब हो गया 'फ़ैसल'
'फ़ैसल' मुकालिमा था हवाओं का फूल से
हर्फ़ अपने ही मआनी की तरह होता है
क्या इल्म कि रोते हों तो मर जाते हों 'फ़ैसल'
हिज्र मौजूद है फ़साने में
कभी भुलाया कभी याद कर लिया उस को
ये भी नहीं कि दस्त-ए-दुआ तक नहीं गया
रात सितारों वाली थी और धूप भरा था दिन
उस को जाने दे अगर जाता है
उस ने देखा जो मुझे आलम-ए-हैरानी में
आज फिर आईना देखा है कई साल के बाद