Love Poetry of Firaq Gorakhpuri (page 2)

Love Poetry of Firaq Gorakhpuri (page 2)
नामफ़िराक़ गोरखपुरी
अंग्रेज़ी नामFiraq Gorakhpuri
जन्म की तारीख1896
मौत की तिथि1982

इस दौर में ज़िंदगी बशर की

हम से क्या हो सका मोहब्बत में

ग़रज़ कि काट दिए ज़िंदगी के दिन ऐ दोस्त

बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं

बहुत हसीन है दोशीज़गी-ए-हुस्न मगर

बहुत दिनों में मोहब्बत को ये हुआ मा'लूम

ऐ सोज़-ए-इश्क़ तू ने मुझे क्या बना दिया

शाम-ए-अयादत

परछाइयाँ

जुगनू

जुदाई

हिण्डोला

आधी रात

ज़िंदगी दर्द की कहानी है

ज़ेर-ओ-बम से साज़-ए-ख़िलक़त के जहाँ बनता गया

ये नर्म नर्म हवा झिलमिला रहे हैं चराग़

ये मौत-ओ-अदम कौन-ओ-मकाँ और ही कुछ है

वो चुप-चाप आँसू बहाने की रातें

वक़्त-ए-ग़ुरूब आज करामात हो गई

तूर था का'बा था दिल था जल्वा-ज़ार-ए-यार था

तुम्हें क्यूँकर बताएँ ज़िंदगी को क्या समझते हैं

तेज़ एहसास-ए-ख़ुदी दरकार है

सुना तो है कि कभी बे-नियाज़-ए-ग़म थी हयात

सितारों से उलझता जा रहा हूँ

शाम-ए-ग़म कुछ उस निगाह-ए-नाज़ की बातें करो

सर में सौदा भी नहीं दिल में तमन्ना भी नहीं

समझता हूँ कि तू मुझ से जुदा है

रस्म-ओ-राह-ए-दहर क्या जोश-ए-मोहब्बत भी तो हो

रात भी नींद भी कहानी भी

निगाह-ए-नाज़ ने पर्दे उठाए हैं क्या क्या

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