अजीब बात हमारा ही ख़ूँ हुआ पानी
हमीं ने आग में अपने बदन भिगोए थे
Javed Akhtar
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Allama Iqbal
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Jaun Eliya
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ये तमन्ना नहीं कि मर जाएँ
यक़ीन जानिए इस में कोई करामत है
सजा के ज़ेहन में कितने ही ख़्वाब सोए थे
तेज़ होती जा रही है किस लिए धड़कन मिरी
कल तक जो शफ़्फ़ाफ़ थे चेहरे आवाज़ों से ख़ाली थे
रफ़्ता रफ़्ता आँखों को हैरानी दे कर जाएगा
बच के दुनिया से घर चले आए
पत्थर
मैं ऐसा नर्म तबीअत कभी न था पहले
नए आदमी का कंफ़ेशन
गंदुम की बालियाँ
अपनी नज़र में भी तो वो अपना नहीं रहा