Sad Poetry of Gulzar (page 2)

Sad Poetry of Gulzar (page 2)
नामगुलज़ार
अंग्रेज़ी नामGulzar
जन्म की तारीख1936
जन्म स्थानMumbai

ओस पड़ी थी रात बहुत और कोहरा था गर्माइश पर

मुझे अँधेरे में बे-शक बिठा दिया होता

कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है

कोई अटका हुआ है पल शायद

ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में

खुली किताब के सफ़्हे उलटते रहते हैं

काँच के पीछे चाँद भी था और काँच के ऊपर काई भी

कहीं तो गर्द उड़े या कहीं ग़ुबार दिखे

जब भी ये दिल उदास होता है

हवा के सींग न पकड़ो खदेड़ देती है

हर एक ग़म निचोड़ के हर इक बरस जिए

गुलों को सुनना ज़रा तुम सदाएँ भेजी हैं

दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई

दर्द हल्का है साँस भारी है

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