Sad Poetry of Gulzar

Sad Poetry of Gulzar
नामगुलज़ार
अंग्रेज़ी नामGulzar
जन्म की तारीख1936
जन्म स्थानMumbai

ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा

ज़ख़्म कहते हैं दिल का गहना है

ये शुक्र है कि मिरे पास तेरा ग़म तो रहा

रुके रुके से क़दम रुक के बार बार चले

मैं चुप कराता हूँ हर शब उमडती बारिश को

कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़

हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में

एक सन्नाटा दबे-पाँव गया हो जैसे

अपने साए से चौंक जाते हैं

वो जो शाएर था

तआक़ुब

स्केच

शफ़क़

लैंडस्केप

ख़ुदा

हिरासत

एक दौर

एक और रात

दिल में ऐसे ठहर गए हैं ग़म

डाइरी

धूप लगे आकाश पे जब

देखो आहिस्ता चलो

अकेले

ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा

ज़िक्र होता है जहाँ भी मिरे अफ़्साने का

तिनका तिनका काँटे तोड़े सारी रात कटाई की

शाम से आज साँस भारी है

सब्र हर बार इख़्तियार किया

रुके रुके से क़दम रुक के बार बार चले

फूल ने टहनी से उड़ने की कोशिश की

गुलज़ार Sad Poetry in Hindi - Read famous Sad Shayari, Romantic Ghazals & Sad Poetry written by गुलज़ार. Largest collection of Sad Poems, Sad Ghazals including Two Line Sher and SMS by गुलज़ार. Share the गुलज़ार Sad Potery, Romantic Hindi Ghazals and Sufi Shayari with your friends on whats app, facebook and twitter.