Khawab Poetry of Habeeb Musvi
नाम | हबीब मूसवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Habeeb Musvi |
कविताएं
Ghazal 30
Couplets 39
Love 35
Sad 26
Heart Broken 30
Bewafa 5
Hope 18
Friendship 13
Islamic 15
Sufi 3
Social 1
देशभक्तिपूर्ण 5
बारिश 1
ख्वाब 14
Sharab 24
चाँदनी छुपती है तकयों के तले आँखों में ख़्वाब
शराब पी जान तन में आई अलम से था दिल कबाब कैसा
शब को नाला जो मिरा ता-ब-फ़लक जाता है
शब कि मुतरिब था शराब-ए-नाब थी पैमाना था
क़त्अ होता रहे इस तरह बयान-ए-वाइज़
मेहर-ओ-उल्फ़त से मआल-ए-तहज़ीब
जबीन पर क्यूँ शिकन है ऐ जान मुँह है ग़ुस्से से लाल कैसा
हुए ख़ल्क़ जब से जहाँ में हम हवस-ए-नज़ारा-ए-यार है
है निगहबाँ रुख़ का ख़ाल-रू-ए-दोस्त
है नौ-जवानी में ज़ोफ़-ए-पीरी बदन में रअशा कमर में ख़म है
फ़िराक़ में दम उलझ रहा है ख़याल-ए-गेसू में जांकनी है
भला हो जिस काम में किसी का तो उस में वक़्फ़ा न कीजिएगा
बना के आईना-ए-तसव्वुर जहाँ दिल-ए-दाग़-दार देखा
अक़्ल पर पत्थर पड़े उल्फ़त में दीवाना हुआ