Friendship Poetry of Habeeb Musvi

Friendship Poetry of Habeeb Musvi
नामहबीब मूसवी
अंग्रेज़ी नामHabeeb Musvi

शब को नाला जो मिरा ता-ब-फ़लक जाता है

सब में हूँ फिर किसी से सरोकार भी नहीं

रोना इन का काम है हर दम जल जल कर मर जाना भी

किसी की जुब्बा-साई से कभी घिसता नहीं पत्थर

जब शाम हुई दिल घबराया लोग उठ के बराए सैर चले

हुए ख़ल्क़ जब से जहाँ में हम हवस-ए-नज़ारा-ए-यार है

है निगहबाँ रुख़ का ख़ाल-रू-ए-दोस्त

है नौ-जवानी में ज़ोफ़-ए-पीरी बदन में रअशा कमर में ख़म है

गुलों का दौर है बुलबुल मज़े बहार में लूट

फ़िराक़ में दम उलझ रहा है ख़याल-ए-गेसू में जांकनी है

देख लो तुम ख़ू-ए-आतिश ऐ क़मर शीशे में है

दाग़-ए-दिल हैं ग़ैरत-ए-सद-लाला-ज़ार अब के बरस

चल नहीं सकते वहाँ ज़ेहन-ए-रसा के जोड़-तोड़

हबीब मूसवी Friendship Poetry in Hindi - Read famous Friendship Shayari, Romantic Ghazals & Sad Poetry written by हबीब मूसवी. Largest collection of Friendship Poems, Sad Ghazals including Two Line Sher and SMS by हबीब मूसवी. Share the हबीब मूसवी Friendship Potery, Romantic Hindi Ghazals and Sufi Shayari with your friends on whats app, facebook and twitter.