तुम अज़ीज़ और तुम्हारा ग़म भी अज़ीज़
किस से किस का गिला करे कोई
Parveen Shakir
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1234) Peoples Rate This
उस बेवफ़ा की बज़्म से चश्म-ए-ख़याल में
वो पूछते हैं दिल-ए-मुब्तला का हाल और हम
वो निगाहें जो दिल-ए-महज़ूँ में पिन्हाँ हो गईं
लुत्फ़-ए-जफ़ा इसी में है याद-ए-जफ़ा न आए फिर
हज़ार ख़ाक के ज़र्रों में मिल गया हूँ मैं
निज़ाम-ए-तबीअत से घबरा गया दिल
अब क्यूँ गिला रहेगा मुझे हिज्र-ए-यार का
मैं क्या हूँ कौन हूँ ये भी ख़बर नहीं मुझ को
अश्क-ए-ग़म उक़्दा-कुशा-ए-ख़लिश-ए-जाँ निकला
तू है बहार तो दामन मिरा हो क्यूँ ख़ाली