है मशक़्क़त मिरी इनआ'म किसी और का है

है मशक़्क़त मिरी इनआ'म किसी और का है

काम मेरा है मगर नाम किसी और का है

धूप थी साथ जो दिन भर वो किसी और की थी

क्या धुँदलका भी सर-ए-शाम किसी और का है

सर पे रहता है हमेशा ही किसी का साया

मेरी दीवार पे ये बाम किसी और का है

मैं तो ख़ुद अपने ही नश्शे में हूँ सरशार बहुत

हाथ में है जो मिरे जाम किसी और का है

जाने ये कौन धड़कता है मिरे सीने में

मेरे होंटों पे रवाँ नाम किसी और का है

हैफ़ अपने लिए कुछ कर न सका मर कर भी

लाश मेरी है तो कोहराम किसी और का है

मेरा हर साँस भी ख़ुद मेरा नहीं है 'हमदम'

ये बदन और ये एहराम किसी और का है

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Hai Mashaqqat Meri Inam Kisi Aur Ka Hai In Hindi By Famous Poet Hamdam Kashmiri. Hai Mashaqqat Meri Inam Kisi Aur Ka Hai is written by Hamdam Kashmiri. Complete Poem Hai Mashaqqat Meri Inam Kisi Aur Ka Hai in Hindi by Hamdam Kashmiri. Download free Hai Mashaqqat Meri Inam Kisi Aur Ka Hai Poem for Youth in PDF. Hai Mashaqqat Meri Inam Kisi Aur Ka Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Hai Mashaqqat Meri Inam Kisi Aur Ka Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.