Love Poetry of Haqeer

Love Poetry of Haqeer
नामहक़ीर
अंग्रेज़ी नामHaqeer

यक-ब-यक तर्क न करना था मोहब्बत मुझ से

टूटें वो सर जिस में तेरी ज़ुल्फ़ का सौदा नहीं

साक़िया ऐसा पिला दे मय का मुझ को जाम तल्ख़

मुझे अब मौत बेहतर ज़िंदगी से

इश्क़ के फंदे से बचिए ऐ 'हक़ीर'-ए-ख़स्ता-दिल

बुत को पूजूँगा सनम-ख़ानों में जा जा के तो मैं

तिफ़्ली पीरी ओ नौजवानी हेच

साक़िया ऐसा पिला दे मय का मुझ को जाम तल्ख़

ना-तवाँ वो हूँ कि दम भर नहीं बैठा जाता

हमारी वो वफ़ादारी कि तौबा

दुश्मन हैं वो भी जान के जो हैं हमारे लोग

ऐ यास जो तू दिल में आई सब कुछ हुआ पर कुछ भी न हुआ

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