Love Poetry (page 403)
ख़बर तो दूर अमीन-ए-ख़बर नहीं आए
आशुफ़्ता चंगेज़ी
जिस की न कोई रात हो ऐसी सहर मिले
आशुफ़्ता चंगेज़ी
हमें सफ़र की अज़िय्यत से फिर गुज़रना है
आशुफ़्ता चंगेज़ी
गुज़र गए हैं जो मौसम कभी न आएँगे
आशुफ़्ता चंगेज़ी
दूर तक फैला समुंदर मुझ पे साहिल हो गया
आशुफ़्ता चंगेज़ी
धूप के रथ पर हफ़्त अफ़्लाक
आशुफ़्ता चंगेज़ी
भीनी ख़ुशबू सुलगती साँसों में
आशुफ़्ता चंगेज़ी
बदन भीगेंगे बरसातें रहेंगी
आशुफ़्ता चंगेज़ी
बादबाँ खोलेगी और बंद-ए-क़बा ले जाएगी
आशुफ़्ता चंगेज़ी
आँखों के बंद बाब लिए भागते रहे
आशुफ़्ता चंगेज़ी
मैं हूँ हैराँ ये सिलसिला क्या है
आस मोहम्मद मोहसिन
ख़ुद से मैं बे-यक़ीं हुआ ही नहीं
आस मोहम्मद मोहसिन
बोसीदा जिस्म-ओ-जाँ की क़बाएँ लिए हुए
आस मोहम्मद मोहसिन
अरक़ जब उस परी के चेहरा-ए-पुर-नूर से टपके
आरिफ़ुद्दीन आजिज़
ये और बात कि रंग-ए-बहार कम होगा
आनिस मुईन
तुम्हारे नाम के नीचे खिंची हुई है लकीर
आनिस मुईन
न थी ज़मीन में वुसअत मिरी नज़र जैसी
आनिस मुईन
मुमकिन है कि सदियों भी नज़र आए न सूरज
आनिस मुईन
हज़ारों क़ुमक़ुमों से जगमगाता है ये घर लेकिन
आनिस मुईन
गया था माँगने ख़ुशबू मैं फूल से लेकिन
आनिस मुईन
इक डूबती धड़कन की सदा लोग न सुन लें
आनिस मुईन
आख़िर को रूह तोड़ ही देगी हिसार-ए-जिस्म
आनिस मुईन
तू मेरा है
आनिस मुईन
एक नज़्म
आनिस मुईन
ये क़र्ज़ तो मेरा है चुकाएगा कोई और
आनिस मुईन
ये और बात कि रंग-ए-बहार कम होगा
आनिस मुईन
वो मेरे हाल पे रोया भी मुस्कुराया भी
आनिस मुईन
मिलन की साअ'त को इस तरह से अमर किया है
आनिस मुईन
हो जाएगी जब तुम से शनासाई ज़रा और
आनिस मुईन
इक कर्ब-ए-मुसलसल की सज़ा दें तो किसे दें
आनिस मुईन