Sad Poetry (page 187)
ऐम्बुलेंस
बलराज कोमल
अकेली
बलराज कोमल
खोया खोया उदास सा होगा
बलराज कोमल
बारिशों में ग़ुस्ल करते सब्ज़ पेड़
बलराज कोमल
सदियों का कर्ब लम्हों के दिल में बसा दिया
बलराज हयात
दिल के हाथों ख़राब हो जाना
बलराज हयात
चुटकियाँ लेती है गोयाई किसे आवाज़ दूँ
बलराज हयात
कहाँ से मंज़र समेट लाए नज़र कहाँ से उधार माँगे
लराज बख़्शी
ख़्वाब नद्दी सा गुज़र जाएगा
बकुल देव
और कुछ देर ग़म नज़र में रख
बकुल देव
ये किस की याद का दिल पर रफ़ू था
बकुल देव
तिरा लहज़ा वही तलवार जैसा था
बकुल देव
समाअ'त के लिए इक इम्तिहाँ है
बकुल देव
मिरे कुछ भी कहे को काटता है
बकुल देव
कौन कहता है ठहर जाना है
बकुल देव
जो है चश्मा उसे सराब करो
बकुल देव
जान ले ले न ज़ब्त-ए-आह कहीं
बकुल देव
हुए हम बे-सर-ओ-सामान लेकिन
बकुल देव
हमें रास आनी है राहों की गठरी
बकुल देव
हादसात अब के सफ़र में नए ढब से आए
बकुल देव
दिल से बे-सूद और जाँ से ख़राब
बकुल देव
बारिशों में अब के याद आए बहुत
बकुल देव
बात बिगड़ी हुई बनी सी रही
बकुल देव
अपना बिगड़ा हुआ बनाव लिए
बकुल देव
अब उजड़ने के हम न बसने के
बकुल देव
घर भी वीराना लगे ताज़ा हवाओं के बग़ैर
बख़्श लाइलपूरी
दर्द-ए-हिजरत के सताए हुए लोगों को कहीं
बख़्श लाइलपूरी
तिश्नगी-ए-लब पे हम अक्स-ए-आब लिक्खेंगे
बख़्श लाइलपूरी
समुंदर का तमाशा कर रहा हूँ
बख़्श लाइलपूरी
रुत न बदले तो भी अफ़्सुर्दा शजर लगता है
बख़्श लाइलपूरी