दिल को ग़म रास है यूँ गुल को सबा हो जैसे
अब तो ये दर्द की सूरत ही दवा हो जैसे
Wasi Shah
Parveen Shakir
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(643) Peoples Rate This
गो दाग़ हो गए हैं वो छाले पड़े हुए
मिलने को है खमोशी-ए-अहल-ए-जुनूँ की दाद
तज़ईन-ए-बज़्म-ए-ग़म के लिए कोई शय तो हो
मिलता नहीं मिज़ाज ख़ुद अपनी अदा में है
दश्त-ए-वफ़ा में जल के न रह जाएँ अपने दिल
पास-ए-नामूस-ए-तमन्ना हर इक आज़ार में था
अब तो दीवानों से यूँ बच के गुज़र जाती है
लाएगा रंग ज़ब्त-ए-फ़ुग़ाँ देखते रहो
देखे हैं जो ग़म दिल से भुलाए नहीं जाते