मैं जिन्हें याद हूँ अब तक यही कहते होंगे
शाहज़ादा कभी नाकाम नहीं आ सकता
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
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Gulzar
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Javed Akhtar
Wasi Shah
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
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इस से फूलों वाले भी आजिज़ आ गए हैं
मैं कुछ दिनों में उसे छोड़ जाने वाला था
दिल के घुटने को इशारा समझो
वही न हो कि ये सब लोग साँस लेने लगें
वो बहुत दूर है मगर मिरे पास
मौत उकता चुकी रीहरसल में
गुल-ए-सुख़न से अँधेरों में ताब-कारी कर
मिरे क़रीब ही महताब देख सकता था
आज तो जैसे दिन के साथ दिल भी ग़ुरूब हो गया
मैं जानता हूँ ये मुमकिन नहीं मगर ऐ दोस्त
तिरी गली से गुज़रने को सर झुकाए हुए
देखा नहीं चाँद ने पलट कर