पा रहा है दिल मुसीबत के मज़े
आए लब पर शिकवा-ए-बेदाद क्या
Anwar Masood
Javed Akhtar
Wasi Shah
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Habib Jalib
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Gulzar
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(806) Peoples Rate This
गुलशन में कौन बुलबुल-ए-नालाँ को दे पनाह
जब नहीं कुछ ए'तिबार-ए-ज़िंदगी
आइना देख के फ़रमाते हैं
जफ़ाएँ होती हैं घुटता है दम ऐसा भी होता है
हसीनों की जफ़ाएँ भी तलव्वुन से नहीं ख़ाली
उल्टी क्यूँ पड़ती है तदबीर ये हम क्या जानें
ख़ुदा जाने 'असर' को क्या हुआ है
अब जहाँ पर है शैख़ की मस्जिद
दिल से क्या पूछता है ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर से पूछ
ठिकाना है कहीं जाएँ कहाँ नाचार बैठे हैं
जान कर 'मीर' का कलाम 'असर'
हुस्न की जिंस ख़रीदार लिए फिरती है