साथ दुनिया का नहीं तालिब-ए-दुनिया देते
अपने कुत्तों को ये मुर्दार लिए फिरती है
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Gulzar
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(841) Peoples Rate This
दिल से क्या पूछता है ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर से पूछ
शैख़ के हाल पर तअस्सुफ़ है
अब जहाँ पर है शैख़ की मस्जिद
जान कर 'मीर' का कलाम 'असर'
कुछ समझ कर उस मह-ए-ख़ूबी से की थी दोस्ती
मर ही कर उट्ठेंगे तेरे दर से हम
दिल की हालत से ख़बर देती है
महफ़िल में उस पे रात जो तू मेहरबाँ न था
जब ख़ुदा को जहाँ बसाना था
मुश्किल का सामना हो तो हिम्मत न हारिए
उल्टी क्यूँ पड़ती है तदबीर ये हम क्या जानें