जो साहिब-ए-मक्रमत थे और दानिश-मंद
वो लोग तो हो गए ज़मीं के पैवंद
पूछो न उन्हें जो रह गए हैं बाक़ी
बदनाम कुनुंदा-ए-निकू नामे चंद
Anwar Masood
Allama Iqbal
Rahat Indori
Parveen Shakir
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Javed Akhtar
Gulzar
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
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पन चक्की
अहमद का मक़ाम है मक़ाम-ए-महमूद
कहते हैं जो अहल-ए-अक़्ल हैं दूर-अंदेश
है इश्क़ से हुस्न की सफ़ाई ज़ाहिर
तौहीद की राह में है वीराना-ए-सख़्त
थोड़ा थोड़ा मिल कर बहुत हो जाता है
दाल की फ़रियाद
छोटे काम का बड़ा नतीजा
अफ़्सुर्दगी और गर्म-जोशी भी ग़लत
इंकार न इक़रार न तस्दीक़ न ईजाब
ये क़ौल किसी बुज़ुर्ग का सच्चा है
है बार-ए-ख़ुदा कि आलम-आरा तू है