हर रंग में इबलीस सज़ा देता है
वो आएँ तो होगी तमन्नाओं की ईद
पुर-हौल-शिकम अरीज़ सीने वालो
जाने वाले क़मर को रोके कोई
बाग़ों पे छा गई है जवानी साक़ी
ये बज़्म-गीर अमल है बे-नग़्मा-ओ-सौत
बंदे क्या चाहता है दाम-ओ-दीनार
मफ़्लूज हर इस्तिलाह-ईमाँ कर दे
नागिन बन कर मुझे न डसना बादल
साहिल, शबनम, नसीम, मैदान-ए-तुयूर
दिल रस्म के साँचे में न ढाला हम ने
क़ानून नहीं कोई फ़ितरत के सिवा