ज़ब्त-ए-गिर्या
वो आएँ तो होगी तमन्नाओं की ईद
जाने वाले क़मर को रोके कोई
ऐ रौनक़-ए-लाला-ज़ार वापस आ जा
मुबहम पयाम
ये बज़्म-गीर अमल है बे-नग़्मा-ओ-सौत
ग़ुंचे तेरी ज़िंदगी पे दिल हिलता है
बाक़ी नहीं एक शुऊर रखने वाला
दिल की जानिब रुजूअ होता हूँ मैं
जल्वों की है बारगाह मेरे दिल में
नागिन बन कर मुझे न डसना बादल
पुर-हौल-शिकम अरीज़ सीने वालो