ऐ रौनक़-ए-लाला-ज़ार वापस आ जा
ऐ दौलत-ए-बर्ग-ओ-बार वापस आ जा
ऐसे में कि नौ-बहार है ख़ुल्द-ब-दोश
ऐ नाज़िश-ए-नौ-बहार वापस आ जा
Gulzar
Wasi Shah
Anwar Masood
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Jaun Eliya
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Rahat Indori
Ahmad Faraz
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औरों को बताऊँ क्या मैं घातें अपनी
थे पहले खिलौनों की तलब में बेताब
ज़ब्त-ए-गिर्या
जाने वाले क़मर को रोके कोई
आज़ादि-ए-फ़िक्र ओ दर्स-ए-हिकमत है गुनाह
जीना है तो जीने की मोहब्बत में मरो
मुबहम पयाम
इस दहर में इक नफ़्स का धोका हूँ मैं
बंदे क्या चाहता है दाम-ओ-दीनार
पुर-हौल-शिकम अरीज़ सीने वालो
ममनूअ शजर से लुत्फ़-ए-पैहम लेने
हर रंग में इबलीस सज़ा देता है