ममनूअ शजर से लुत्फ़-ए-पैहम लेने
इस्याँ की घनी छाँव में फिर दम लेने
मशहूर करो काशमर आ पहुँचा 'जोश'
अल्लाह से इंतिक़ाम-ए-आदम लेने
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Anwar Masood
Jaun Eliya
Wasi Shah
Parveen Shakir
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(938) Peoples Rate This
साहिल, शबनम, नसीम, मैदान-ए-तुयूर
अफ़्सोस शराब पी रहा हूँ तन्हा
बे-नग़्मा है ऐ 'जोश' हमारा दरबार
कल रात गए ऐन-ए-तरब के हंगाम
ये बज़्म-गीर अमल है बे-नग़्मा-ओ-सौत
जाने वाले क़मर को रोके कोई
वो आएँ तो होगी तमन्नाओं की ईद
ग़ुंचे तेरी ज़िंदगी पे दिल हिलता है
ऐ रौनक़-ए-लाला-ज़ार वापस आ जा
ख़ुद से न उदास हूँ न मसरूर हूँ मैं
क्या तब्ख़ मिलेगा गुल-फ़िशानी कर के
बाग़ों पे छा गई है जवानी साक़ी