अफ़्सोस शराब पी रहा हूँ तन्हा
ग़लताँ-ब-सुबू तमाम ख़ून-ए-फ़न-हा
ठिठुरी हुई साग़र में नज़र आती है
सहबा रज़िअल्लाहो-तआ'ला-अनहा
Habib Jalib
Gulzar
Parveen Shakir
Wasi Shah
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Rahat Indori
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1329) Peoples Rate This
क़ानून नहीं कोई फ़ितरत के सिवा
ऐ रौनक़-ए-लाला-ज़ार वापस आ जा
कल रात गए ऐन-ए-तरब के हंगाम
हर रंग में इबलीस सज़ा देता है
ग़ुंचे तेरी ज़िंदगी पे दिल हिलता है
मुबहम पयाम
नागिन बन कर मुझे न डसना बादल
साहिल, शबनम, नसीम, मैदान-ए-तुयूर
मेरे कमरे की छत पे है उस बुत का मकान
ऐ ज़ाहिद-ए-हक़-शनास वाले आलिम-ए-दीं
ये बज़्म-गीर अमल है बे-नग़्मा-ओ-सौत
जाने वाले क़मर को रोके कोई