मिरी जवानी बहारों में भी उदास रही
फ़ज़ा-ए-दर्द-ए-तमन्ना को रास आ न सकी
ख़ुशी उफ़ुक़ पे खड़ी देखती रही मुझ को
उसे बुला न सका, ख़ुद वो पास आ न सकी
Gulzar
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Rahat Indori
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(732) Peoples Rate This
हम फ़क़ीरों की बात क्यूँ पूछो
तू मिरे साथ अब नहीं है दोस्त
दिल-जलों को सताने आए हैं
ज़िंदगी की हसीन शहज़ादी
इतनी तल्ख़ फ़ज़ा में भी हम ज़िंदा हैं
तुम घटाओं का एहतिमाम करो
तुम गुनाहों से डर के जीते हो
सख़्त-जाँ भी हैं और नाज़ुक भी
तुम्हारी याद के उजड़े हुए, उदास चमन
आसमाँ की बुलंदियों से नदीम
काविश-ए-सुब्ह-ओ-शाम बाक़ी है
बड़ी शफ़ीक़, बड़ी ग़म-शनास लगती हैं