रोने से और इश्क़ में बे-बाक हो गए
धोए गए हम इतने कि बस पाक हो गए
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Anwar Masood
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Wasi Shah
Rahat Indori
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1553) Peoples Rate This
ज़िंदगी अपनी जब इस शक्ल से गुज़री 'ग़ालिब'
दहर में नक़्श-ए-वफ़ा वजह-ए-तसल्ली न हुआ
हवस को है नशात-ए-कार क्या क्या
ए'तिबार-ए-इश्क़ की ख़ाना-ख़राबी देखना
है अब इस मामूरे में क़हत-ए-ग़म-ए-उल्फ़त 'असद'
वुसअत-ए-सई-ए-करम देख कि सर-ता-सर-ए-ख़ाक
क़ैद-ए-हयात ओ बंद-ए-ग़म अस्ल में दोनों एक हैं
फ़र्दा-ओ-दी का तफ़रक़ा यक बार मिट गया
कौन है जो नहीं है हाजत-मंद
हासिल से हाथ धो बैठ ऐ आरज़ू-ख़िरामी
रफ़्तार-ए-उम्र क़त-ए-रह-ए-इज़्तिराब है
तुझ से तो कुछ कलाम नहीं लेकिन ऐ नदीम