तुझ से तो कुछ कलाम नहीं लेकिन ऐ नदीम
मेरा सलाम कहियो अगर नामा-बर मिले
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Gulzar
Anwar Masood
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(2005) Peoples Rate This
या रब हमें तो ख़्वाब में भी मत दिखाइयो
हुई ताख़ीर तो कुछ बाइस-ए-ताख़ीर भी था
गर तुझ को है यक़ीन-ए-इजाबत दुआ न माँग
हम से खुल जाओ ब-वक़्त-ए-मय-परस्ती एक दिन
या-रब वो न समझे हैं न समझेंगे मिरी बात
जादा-ए-रह ख़ुर को वक़्त-ए-शाम है तार-ए-शुआअ'
जल्वे का तेरे वो आलम है कि गर कीजे ख़याल
काँटों की ज़बाँ सूख गई प्यास से या रब
न सुनो गर बुरा कहे कोई
न लेवे गर ख़स-ए-जौहर तरावत सब्ज़ा-ए-ख़त से
क़त्अ कीजे न तअ'ल्लुक़ हम से
चश्म-ए-ख़ूबाँ ख़ामुशी में भी नवा-पर्दाज़ है